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#Bitumen and Bio-bitumen#


 प्रश्न -1 निम्न में से किसको "एस्फाल्ट" के नाम से जाना जाता है ?

1-बिटुमिन
2- बायो-बिटुमिन
3-पेट्रोलियम पदार्थ 
4-प्राकृतिक वनस्पति

सही उत्तर है विकल्प (1)


प्रश्न-2 बिटुमिन का स्रोत क्या है?

1-पेड़ पौधों का अवशेष
2-पेट्रोलियम पदार्थ 
3-चट्टान
4-समुद्र

सही उत्तर है विकल्प (2)


प्रश्न-3 बायो - बिटुमिन (Bio- Bitumen) को प्राप्त करने का स्रोत क्या है?

1- पेट्रोलियम पदार्थ (डीजल,पेट्रोल)
2-कृषि फसल अवशेष 
3-कोयला
4-पठार

सही उत्तर है विकल्प ( 2)


प्रश्न 4- सीआरआरआई(CRRI) का पूरा नाम क्या है?

1-सेन्ट्रल रोड रिसर्च इन्टीट्यूट
2-सेन्ट्रल रेलवे रिसर्च इन्सटीट्यूट
3-सेन्ट्रल राइस रिसर्च इन्सटीट्यूट
4-सेन्ट्रल रबड रिसर्च इन्सटीट्यूट

सही उत्तर है विकल्प (1)


प्रश्न-5 सी.आर.आर.आई.(CRRI) कहां स्थित है?

1-दिल्ली
2-देहरादून

3-उड़िसा
4-केरला

सही उत्तर है विकल्प (1)

प्रश्न-5 इन्डियन इन्स्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम(IIP) कहां स्थित है।

1-दिल्ली
2-मुम्बई

3-देहरादून
4-कलकत्ता

सही उत्तर है विकल्प (3)


बिटुमिन के बारे में-( Bitumen)

इसका प्रयोग सड़क बनाने में किया जाता है। सड़क बनाते समय सड़क की सतह एवं कंक्रीट के टुकड़ों को जोड़ने के लिए  बिटुमिन का प्रयोग पूरी दुनिया में होता है। इसे बाइन्डर भी कहा जाता है। बाइन्डर का अर्थ होता है जोड़ने वाला। भारत के सन्दर्भ में बिटुमिन का विशेष महत्व है। देश में आधारभूत संरचना के रूप में सड़कों का तीब्र गति से निर्माण कार्य हो रहा है। लेकिन सड़क निर्माण में प्रयुक्त होने वाला अधिकांश बिटुमिन विदेशों से आयात किया जाता है।

 आयात इस कारण किया जाता है ,क्योंकि भारत में पेट्रोलियम पदार्थो का बहुत ही कम मात्रा में उत्पादक होता है। बिटुमिन पेट्रोलियम पदार्थो से ही उप उत्पाद ( Bi product) के रूप में प्राप्त किया जाता है। बिटुमिन के आयात होने के कारण देश के भुगतान संतुलन (Ballance of Payment) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। क्योंकि आयात की जाने वाली बस्तुओं की अदायगी विदेशी मुद्रा (forign currency) में होने कारण देश को विदेशी विनिमय (forign exchange) के रूप में नुकसान होता है। नये शोध से बिटुमिन के विकल्प को बना लिया गया है। जिसे बायो- बिटुमिन कहा जाता है।

बायो बिटुमिन - (Bio Bitumen)

बायो- बिटुमिन का प्रमुख स्रोत कृषि अवशेष के रूप में धान एवं गेहू  के डंठल के साथ कुछ प्रकार के पौधे होते है। जिनसे बायो- बिटुमिन को बनाया जाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां   कृषि अवशेष अधिकता में उपलब्ध होता है। कई बार कृषि अवशेष की अधिकता किसानों के लिए समस्या का कारण बन जाता है। जिसे  किसान खेतों में जला देते हैं। 

जिससे पर्यावरण प्रदुषण का खतरा बढ जाता है। ऐसे में देश के दो शोध संस्थानों सेन्ट्रल रोड रिसर्च इन्सटीट्यूट नई दिल्ली (central road research intitute) एवं इन्डियन इन्स्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम देहरादून (Indian intitute of petrolium)  के  संयुक्त प्रयासों से बायो- बिटुमिन का निर्माण किया गया है। जिसको बिटुमिन के साथ 35% तक मिश्रित करने पर यह बेहतर ढंग से सड़क निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।

बायो- बिटुमिन के प्रयोग से लाभ-

1-   पराली (गेहूं और धान की कटाई के बाद बचा हुआ अवशेष) जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा सकेगा।

2- कृषि अवशेष अब किसानों के लिए बेचने की वस्तु बन जाएगा । जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।

3- देश की बिटुमिन आयात निर्भरता कम होगी । जिससे विदेशी मुद्रा की वचत होगी ।भुगतान संतुलन में सकारात्मक सुधार होगा।

4- बायो बिटुमिन उत्पादन करने वाले नये एम.एस.एम.ई.       (MSME) के रूप में नयी उधोगिक  श्रृंखला का निर्माण होगा।

5- हरित रोजगार (green jobs) के रूप में नयी नौकरीयों का सृजन होगा।

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