पुस्तक समीक्षा "The Climate Book"


                        

The climate Book ग्रेटाथेनवर्ग द्वारा सम्पादित एक सराहनीय प्रयास है। ग्रेटा एक युवा पर्यावरण सक्रियतावादी(एक्टिविस्ट) हैं। सक्रियतावादी भी कई तरह के होते हैं । कुछ सिर्फ व्यवस्था में अवरोध पैदा करने वाले लेकिन कुछ एक्टिविस्ट ऐसे भी होते हैं जो वर्तमान की समस्याओं के प्रति देश, समाज एवं सरकारों को समय रहते किसी समस्या पर जागरुक करके भविष्य के प्रति व्यवस्था को सचेत करते हैं। लेकिन वर्तमान युग में सुधार की मनोवृत्ति रखने वाले व्यक्ति न केवल सरकार बल्कि  कई बार समाज के लिए भी आलोचना का विषय बन जाते हैैं। न्यायालय भी एक्टिविस्ट का कार्य करता है। जैसे की स्वत संज्ञान (सुओ मोटो) लेकर व्यवस्था में व्याप्त  किसी बुराई या समस्या के प्रति समाज एवं सरकारों को रास्ता दिखाने के रूप में।

 कबीर दास भी अपने दौर के एक महानतम सक्रियतावादी थे। जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से तत्कालिन दौर की सामाजिक विसंगतियों के प्रति खुल कर अपने विचार रखे।ग्रेटा थेनवर्ग भी आज के वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दौर में वैश्विक दुनिया को अपने अलग-अलग प्रयासों से  समाज को सचेत एवं जागरू कर रही हैं।

The climate Book 2022 यह पुस्तक पांच भागों एवं 102 अध्यायों में विभाजित है। ऐसा नहीं है कि इसके पहले जलवायु परिवर्तन से जुड़े विषय पर किताबें नहीं लिखी गई। असंख्य पाठ्यपुस्तकीय रचनाओं एवं मोनोग्राफ के बावजूद इस पुस्तक की अपनी एक विशिष्टता है। यह विशिष्टता जलवायु परिवर्तन में शामिल पारिस्थितिकीय आन्तरिक घटकों के साथ पृथ्वी के वाह्य स्वरुप से जुड़े  घटकों में हो रहे बदलावों को बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

वैज्ञानिक विश्लेषण में सूचना के साथ साथ तथ्यों की अपनी  स्वयं की कोई भाषा नहीं होती जब तक उनका अन्य घटकों के साथ  कोई स्पष्ट जुड़ाव न हो। तथ्यों का आपस में जुड़ना ही किसी घटना के वैज्ञानिक विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस रूप में यह पुस्तक पृथ्वी के जलवायु से जुड़े घटकों की विशिष्टता के साथ साथ इनका वृहद स्तर पर सम्पूर्ण जलवायुवीय व्यवस्था के साथ जुड़ाव के प्रभाव का वैज्ञानिक विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। कैसे कोई भी एक छोटी एक अत्यंत लघु भौतिक रासायनिक परिघटना  पूरे मानव जाति के लिए एक गम्भीर संकट का कारण बन सकती है । इस तरह की परिघटनाओं एवं उससे जुड़े घटकों को समझाने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।

 अध्यायों की संख्या अधिक होने के बावजूद इस पुस्तक के माध्यम से जो विश्वदृष्टि मिलती है। वह अत्यंत रोचक एवं ज्ञानदायी है। इस पुस्तक की महत्ता इस रूप में भी है कि यह किसी एक क्षेत्र विशेष के पाठक के लिए ही नहीं लिखी गई है। बल्कि आज के वर्तमान जलवायु संकट के दौर में किसी भी क्षेत्र या विषय से जुड़ा  व्यक्ति इससे अपने ज्ञान एवं समझ में वृद्धि कर सकता है। 

आज कल उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण जन अभियान चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से करोड़ों पौधों को लगाया जायेगा। यह अत्यंत सराहनीय कदम है लेकिन कई बार देखने को मिलता है कि जो लोग पर्यावरण बचाने के मुहिम से जुड़कर यह दिखाने का प्रयास करते हैं  कि वे भी पौधा लगाकर पर्यावरण बचा रहे हैं लेकिन ऐसे अधिकांश लोगों के जीवन में पर्यावरणीय संस्कार नगन्य एवं शून्य के बराबर होता है। जैसे कि पौधा लगाने के कार्यक्रम में पहुंचने के लिए गाड़ियों के काफिले से पहुंचते हैं। रहते भी है गाड़ियों के काफिले के साथ। जीवन भी वातानुकूलित माहौल में भोगते हैं। ऐसे लोगों की जीवन-शैली ही पर्यावरण प्रतिगामी होती है।

 इन जैसे लोगों के जीवन की गतिविधियों से पर्यावरण को लाभ कम नुकसान ज्यादा होता है। लोग सुविधाओं का लाभ जरूर उठाएं लेकिन दिखावे के लिए पर्यावरण प्रेमी न बनें।आज समय की मांग है कि हर व्यक्ति कम से कम कार्बन फुटप्रिंट उत्सर्जित करें । तभी वर्तमान एवं भविष्य के  पर्यावरण चुनौती से निपटा जा सकेगा और भविष्य की पीढीया भी सुरक्षित बन सकेगी। यही सस्टनेबल पृथ्वी, पर्यावरण एवं जीवन का राज है।

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