व्यवसाय/व्यापार सुगमता सूचकांक [Ease of doing Business Index]

व्यवसाय/व्यापार सुगमता सूचकांक [Ease of doing business index]----


 यह एक प्रकार का वैश्विक सूचकांक है। जिसमें 10 बिन्दुओं के आधार पर यह जानने का प्रयास किया जाता है। कि आज के वैश्विक दुनिया में किसी देश में व्यवसाय एवं औधोगिक इकाई की स्थापना करने में कितनी सरलता एवं सुगमता हैं।इस सूचकांक का निर्माण "विश्व बैंक" (World Bank) द्वारा किया जाता है। वर्तमान में किसी भी देश की प्रगति इस वात पर निर्भर करती है। कि उस देश की औधोगिक उत्पादकता एवं विविधता कैसी है ? जितना बड़ा औधोगिक देश उतना ज्यादा व्यापार एवं रोजगार के अवसर की उपलव्धता के साथ साथ आय सृजन की बेहतर सम्भावना मानी जाती है।

कृषि की तुलना में उधोग ,रोजगार सृजन के साथ साथ आय अर्जन का सबसे बेहतर माध्यम होता है। यह कामगार के कार्य की निश्चितता एवं स्थायित्व का ध्योतक माना जाता है। अर्थात अवसर की पर्याप्तता के कारण कार्य जाने का डर नही होता है। जब तक स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर  कोई बड़ा उथल पूथल ना हो। व्यवसाय एवं औधोगिक इकाईयों की स्थापना की सुगमता समाज में ना केवल उधमिता की संस्कृति को बढावा देता है। बल्कि इसके परिणाम स्वरूप देश एवं समाज प्रगति एवं विकास के मार्ग पर अग्रसर होते हैं।

 इस सूचकांक के द्वारा वैश्विक निवेशक इस बात को सहजता से जान पाते हैं, कि वैश्विक दुनिया में कौन सा देश उनके निवेश के लिए बेहतर स्थान है। कोई भी निवेशक अपना निवेश कम जोखिम एवं अधिकतम लाभ की प्राप्ति के दृष्टिकोण से करता है।इस लाभ सृजन में न केवल काम करने वाले अलग अलग श्रेणियों के कामगारों को लाभ प्राप्त होता है। बल्कि टैक्स के रूप में सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होती है।जिसका लाभ देश की जी. डी. पी. को बढाने में मिलता है। अन्तोगत्वा देश को प्राप्त लाभ के रूप में आय का इस्तेमाल  विकास से जुड़ी परियोजनाओं में किया जाता है।

 इस प्रकार व्यवसाय सुगमता का बेहतर होना न केवल घरेलू स्तर पर व्यवसाय एवं उधमिता की गतिशीलता को बताता है।वल्कि वैश्विक निवेशकों को भी आकर्षित करने में मदद करता है।वर्तमान में सरकार द्वारा आर्थिक समृदि को बढाने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें आधारभूत संरचना का विकास एक महत्वपूर्ण पहलू है। साथ ही नई औधोगिक इकाइयों  की स्थापना करने वाले उधमियों को अनेक प्रकार की सहूलियत दी जा रही हैं। जैसे ॠण की उपलब्धता को सुगम एवं त्वरित बनाना, औधोगिक इकाई की स्थापना में आने वाली किसी भी प्रशासनिक अड़चन को कम करना आदि ......।

विश्व बैंक द्वारा स्थापित" इज आफ डूविंग बिजनेस(Ease of doing business)" के 10 प्रतिमान:

1-सभी के लिए व्यवसाय सुगमता का होना

2- निर्माण की स्वीकृति

3-विधुत उपलब्धता

4-प्रापर्टी की रजिस्ट्री

5-ॠण की उपलब्धता

6-निवेश की सुरक्षा

7-टैक्स अदायगी

8-देश के बाहर ट्रेड की सहूलियत

9-कान्ट्रैक्टस पाने में सहजता

10- व्यावसायिक जोखिम की स्थिति मे दिवालियापन से निपटान की व्यवस्था।

इज आफ डूईंग सूचकांक में भारत की वैश्विक स्थिति : [Global position of India in ease of doing business index]

वर्ष 2014 से ही  देश के अन्दर इस सूचकांक को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। आज सरकार के सुदृढ कार्य दक्षता के परिणाम स्वरूप जहां 2014 में भारत का इस सूचकाक में 142 वां स्थान था। वह आगे बढकर 2019 में  190 देशों की लिस्ट मे 63 वें स्थान पर पहुंच चुका है। यह सरकार के बेहतर प्रशासनिक निर्णय का भी परिचायक है।

विकसित भारत के लिए "इज आफ डूईंग बिजनेस सूचकांक" में भारत की निरंतर वृद्धि एक आवश्यक जरूरत :[Ease of doing business and vikshit/developed Bharat/India.]

वर्तमान में भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए अपना लक्षय बना चुका है। वैश्विक स्तर पर भारत आज जापान को पीछे छोड़ते हुए, विश्व की चौथी बडी अर्थव्यवस्था बन चुका है।भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तीब्र औधोगिकरण की आवश्यकता होगी ।ताकि विकसित भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। विकसित भारत के लिए अर्थव्यवस्था की वृदि दर 8% वार्षिक अनुमानित है। जिसे केवल कृषि के द्वारा प्राप्त नही किया जा सकता। जब तक कृषि  क्षेत्र में वैश्विक मानक के अनुसार उत्पादों को मूल्यवर्धन से नही जोड़ा जाता।

तब तक समुचित स्तर तक की वृद्दि दर को प्राप्त करना आसान नही होगा। इसलिए जरूरी है कि" इज आफ डूईग बिजनेस" के प्रतिमानों को और तत्परता के साथ आगे बढाया जाय। जिससे घरेलू एवं वैश्विक निवेशक सहजता से औधोगिक रिस्क के लिए तैयार हो सकें। कम से कम अपने देश के उपभोग लिए उत्पादन को बढा सकें। ताकि आयात निर्भरता मे कमी हो सके। विकसित भारत के लिए देश का स्वनिर्भर आर्थिक उत्पादक होना पहली शर्त होना चाहिए। यह बेहतर औधोगिक आधारभूत संरचना एवं" इज आफ डूईग" के प्रतिमानो को बेहतर करके  ही प्राप्त किया  जा सकता है।

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