उत्तर प्रदेश प्रवक्ता चयन परीक्षा, पाठ्यक्रम : विषय- भूगोल
भूगोल की परिभाषा एवं विषय क्षेत्र-भूगोल विषय सम्बन्धी विभिन्न विद्वानों की अवधारणा हम्बोल्डट, रिटर, रेटजेल, हैटनर, डेविस वाइडल-डी-ला-ब्लाश, कार्ल सावर, पीटर हैगेट, विलयम कुक, हार्वे एवं स्मिथ। प्रमुख संकल्पनाएँ-नियतिवाद, सम्भववाद, नव-नियतिवार एवं पर्यावरण, कारकवाद (पारिस्थितिकी)
भौतिक भूगोल : स्थल मण्डल-पृथ्वी की आन्तरिक संरचना, भूमण्डल का निर्माण, खनिज एवं चट्टानें, भूसंचलन, ज्वालामुखी एवं भूकम्प-अद्यतन सिद्धान्त, वलन एवं भ्रशन उनसे उत्पन्न स्थलाकृतियाँ, अपरदन चक्र एवं उनकी भूआकृतिक छाप, भूमिगत जल, वायु समुद्र एवं हिमनद के कार्य एवं सम्बन्धित स्थलाकृतियाँ)।
वायुमण्डल- संरचना-सूर्यताप एवं ताप-बजट, तापमान का क्षैतिज एवं लम्बवत वितरण, तापमान विलोम की दशाएं, वायुदाब पेटियां एवं पवन वायुदाब पेटियों का खिसकाव एवं उनका प्रभाव, आर्द्रता एवं वर्षण के प्रकार, बादलों के प्रकार एवं स्वरूप, शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात-उत्पत्ति, गतिविधि एवं मौसम पर प्रभाव, कोपेन और थार्नथ्वेट द्वारा विश्व जलवायु का वर्गीकरण।
जलमण्डल- महासागरीय जल का तापमान एवं लवणता, महासागरीय धाराएं, ज्वारभाटा, महासागरीय निक्षेप, प्रवाल द्वीप एवं प्रवाल भित्तियां, उत्पत्ति, वितरण एवं पर्यावरणीय महत्व।
जैव मण्डल - वनस्पति के प्रकार एवं विश्व वितरण, सदाबहार वनों का पर्यावरणीय महत्व, वनस्पति एवं पारिस्थितिकी तंत्र, जैविक विविधता एवं उसका पारिस्थितिकीय महत्व, निर्वनीकरण की समस्या, वन संरक्षण। मानव भूगोल- मानव-पर्यावरण सम्बन्ध, पुरापाषाण, नव पाषाण युग, मानव पर्यावरण अन्र्तसम्बन्ध पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव-कृषि
क्रान्ति। जनसंख्या वृद्धि के पर्यावरणीय प्रभाव, जनांकिकीय माडल (विकसित एवं विकासशील देशों में जनसंख्या समस्या के प्रारूप) आर्थिक भूगोल- संसाधन एवं उनका वर्गीकरण, संसाधनों का विभिन्न दृष्टियों से वर्गीकरण / संसाधन संरक्षण के सिद्धान्त, जल, मिट्टी, खनिज ऊर्जा, उपयोग जन्य समस्याएं एवं संरक्षण मानव संसाधन संरक्षण। कृषिगत भूमि का उपयोग खाद्यान्न उत्पादन एवं उसका क्षेत्रीय स्वरूप-गेहूं, चावल, कपास, गन्ना, चाय, कहवा रबर विश्व के वृहत कृषि प्रदेश, विश्व के औद्योगिक प्रतिरूप, उद्योगों के स्थानीयकरण के कारण, औद्योगिक अवस्थिति के प्रमुख सिद्धान्त न्यूनतम लागत सिद्धान्त, बाजार, प्रतिस्पर्धा सिद्धान्त, विश्व के औद्योगिक प्रदेश, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-प्रमुख व्यापारिक प्रखण्ड, प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग, वायु पत्तन एवं बन्दरगाह।
भारत का भौगोलिक स्वरूप (1) भारत का प्राकृतिक स्वरूप-उच्चावच, जल प्रवाह, जलवायु, वनस्पति एवं मिट्टी का अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप, एल निनो एवं एल नीना प्रभाव, सूखा एवं बाढ़ प्रवण क्षेत्र, संसाधन आधार-खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, सिंचाई, जल विद्युत, बहुउद्देशीय योजनाएं, आर्थिक स्वरूप-कृषि खाद्यान्न उत्पादन, नकदी फसलें, कृषि की अद्यतन प्रवृत्ति, औद्योगिक विकास, भारत की औद्योगिक नीति, आधारभूत उद्योगों (लोहा-इस्पात) ऊर्जा उत्पादन सीमेंट, एल्युमिनियम का उत्पादन, वितरण प्रतिरूप एवं उत्पादन प्रवृत्ति, अवस्थापना का विकास एवं समस्याएं, जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण का प्रादेशिक स्वरूप, जनसंख्या वृद्धि परक समस्याएँ, आर्थिक विकास का प्रादेशिक स्वरूप।